क्यों भागे जा रहे हो?

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Don't be a part of Blind Race

Running Blind – क्यों भागे जा रहे हो?

चारों ओर एक होड मची हुई है, एक रेस लगी हुई है, हर कोई एक दूसरे से आगे निकल जाना चाहता है.

दौड भी ऐसी जिसका कोई अंत नहीं है फिर भी सभी भागे चले जा रहे हैं.

क्‍या है ये और क्‍यों है ये. ये किसी को पता ही नहीं है. कल का किसी को पता नहीं है किन्‍तु सब के सब अपने व अपने बच्‍चों के कल के लिए इकट्ठा किये जा रहे हैं.

एक भूकंप आता है और पूरा परिवार समाप्‍त हो जाता है. एक सुनामी आती है और अनेकों परिवारों को अपने साथ ले जाती है.

Running Blind – राजा ने कमाया वजीर के लिए

इस पर मुझे एक कहानी याद आती है कि एक राजा था. राजा को बस एक ही धुन सवार थी कि मुझे तो बस अपने साम्राज्‍य का विस्‍तार करना है. बस इसी के लिए वह दिन रात लगा रहता था.

उस राजा के यहां एक वजीर था. वह बहुत ही शान्‍त स्‍वभाव का व समझदार भी था. वह राजा को अक्‍सर समझाया करता था कि महाराज आपके पास सब कुछ है तथा अपना साम्राज्‍य भी अब काफी बडा हो चुका है, अत: अब हमें और आक्रमण नहीं करने चा‍हिएं.

किन्‍तु राजा ने उसकी बात को अनसुना कर दिया. एक दिन आक्रमण हुआ और उसमें उस राजा की मौत हो गई. पर सेना ने रानी व वजीर की मदद से अपना राज्‍य बचा लिया.

कुछ समय पश्‍चात रानी ने उसी वजीर से विवाह कर लिया. तब उस वजीर को समझ में आया कि राजा उस के लिए ही भाग रहा था.

उपरोक्‍त कहानी बताने का तात्‍पर्य यह है कि हम क्‍यों भागे जा रहे हैं. किसके लिए भागे जा रहे हैं. हमारी भूख कितनी बढ गई है.

Running Blind – धन की लालसा में लोग कर रहे हैं उलटे सीधे काम

आज हर व्‍यक्ति अपने आप में उलझ कर रह गया है. बहुत से लोग धन कमाने के लिए ना जाने क्‍या क्‍या कर रहे हैं.

कोई बेईमानी कर रहा है तो कोई मिलावट. कोई रिश्‍वत ले रहा है तो कोई किसी न किसी रूप में चोरी कर रहा है. सब का उद्देश्‍य एक ही है, बस अधिक से अधिक पैसा कमा लिया जाय.

मजे की बात यह है कि कोई उसका सदुपयोग अपने लिए नहीं कर रहा है, केवल दूसरों के लिए ही कमाये जा रहा है. सबके सब केवल अपने आप को ही व अपने आस पास के लोगों को ही धोखा देने में लगे हुए हैं.

Running Blind – पैसा ही सब कुछ नही

ये ठीक है कि धन के बिना कुछ नहीं हो पाता है किन्‍तु हमें इस बात का भी स्‍मरण रखना चाहिए कि धन से सब कुछ भी नहीं हो पाता है.

मैंने ऐसे लोगों को देखा है जो दिन-रात केवल धन के पीछे भागते रहते थे किन्‍तु जब उनका अंतिम समय आया तो वह धन भी उनका जीवन न बचा पाया.

Running Blind – फिर क्‍यों भाग रहे हो

बहुत से लोग सारी उम्र धन के पीछे केवल यह सोच कर भागते रहते हैं कि अपने बुढापे में वो उस धन से मौज मस्‍ती करेंगे. किन्‍तु जब बुढापा आता है तो शारीरिक अस्‍वस्‍थ्‍यता के चलते वह धन रखा ही रह जाता है. फिर क्‍या लाभ है ऐसी सोच का.

फिर ऐसा क्‍या है जिसके लिए भागे जा रहे हो. कर्म करना जीवन का मूल आधार है. श्रीमद् भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्‍ण ने भी कर्म का ही संदेश दिया है. किन्‍तु उन्‍होने कभी लालसा का संदेश नहीं दिया.

Running Blind – क्‍या कहता है महर्षि पतंजलि का योग दर्शन

योग दर्शन में महर्षि पतंजलि ने स्‍वस्‍थ्‍य जीवन की आधारशिला रखते हुए अष्‍टांग योग में यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्‍याहार, धारणा, ध्‍यान व समाधि का वर्णन किया है.

उसी में नियम के तहत उन्‍होंने शौच, संतोष, तप, स्‍वाध्‍याय, ईश्‍वर प्रणिधान का उल्‍लेख किया है. इसमें संतोष का अभिप्राय आवश्‍यकता से अधिक मात्रा में किसी भी विषय वस्‍तु के बारे में भागना अपने कष्‍टों को बढाना है. अर्थात संतोषी सदा सुखी वाला सिद्धान्‍त सर्वोपरी है.

आवश्‍यकता से अधिक की लालसा लोभ कहलाती है तथा यही लोभ सभी के मूल दुखों का कारण है. किन्‍तु आज किसी की भी आवश्‍यकता समाप्‍त ही नहीं हो रही है.

Running Blind – बढ रहा है तनाव व कष्‍ट

आप अपने चारों ओर एक नजर डाल कर देखें तो आपको स्‍वयं ही यह आभास हो जायेगा कि जो व्‍यक्ति जितना धन की ओर लालायित है वह उतना ही तनाव युक्‍त व कष्‍ट से भरा हुआ है.

हो सकता है वह व्‍यक्ति उपर से खुश नजर आ रहा हो किन्‍तु अन्‍दर से कहीं न कहीं उसके मन में एक डर सदैव बना रहता है कि कहीं उसका धन उससे छिन न जाये.

कहीं धन के कारण उसके साथ कोई हादसा न हो जाये; कहीं धन के कारण उसके अपने उसके साथ कोई कुछ गलत न कर बैठें.

इसके अतिरिक्‍त वह व्‍यक्ति अपने लिए इतना समय ही नहीं निकाल पाता है जितना इस शरीर को नियमित रूप से स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए आवश्‍यक है.

इसी कारण से आज बहुत से लोग तनाव व उससे जुडी बहुत सी बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं.

Running Blind – नहीं है समय धन के सदुपयोग के लिए

बहुत से लोगों को आज पैसा तो बहुत मिल रहा है किन्‍तु उनके पास उसके सदुपयोग के लिए समय ही नहीं है. किसी के पास अपने कार्यालय से अवकाश नही है तो कोई अपने व्‍यापार की मजबूरी के कारण समय ही नहीं निकाल पा रहा है.

मैं बहुत से लोगों को देखता हूँ कि उनके कई प्रतिष्‍ठान हैं, उसे सम्‍भालने के लिए वो अकेले हैं, कब सुबह होती है व कब रात हो जाती है कुछ पता ही नहीं. फिर भी भागे चले जा रहे हैं. क्‍या लाभ है ऐसी भाग दौड का जिसमें अपने लिए समय ही नहीं है.

Running Blind – करना होगा मूल आवश्‍यकताओं का आंकलन

हमें कहीं ना कहीं तो रूकना ही होगा. इसके लिए हमें अपनी मूल आवश्‍यकताओं का आंकलन करना होगा. क्‍योंकि आवश्‍यकता से अधिक किसी भी प्रकार का खर्च दिखावे के अतिरिक्‍त और कुछ भी नहीं है.

इस संदर्भ में बहुत से लोगों को मैंने देखा है कि वो पूरे सप्‍ताह या पूरे महीनें कमाते हैं तथा उसमें से कुछ बचाते हैं. शेष राशि का सदुपयोग वो अपने अच्‍छे शौक पूरे करने के लिए करते हैं.

Running Blind – पैदा करो अपने अन्‍दर एक आत्‍मविश्‍वास

अपने अंदर एक आत्‍मविश्‍वास पैदा करो कि मैं इतना सक्षम हूँ कि भविष्‍य में यदि कोई विपरीत परिस्थिति आयेगी तो मैं सहजता से उसे सम्‍भाल लूंगा. इसके लिए पढें मेरा यह लेख – क्‍यों हों अच्‍छे विचार सफलता के लिए.

जो भाग रहे हैं, उनके लिए अभी भी समय है, रूक जाओ. कहीं ऐसा ना हो कि एक दिन समय ही आपको अपने आप रोक दे.

इतना कमाओ कि समयानुसार उसका सदुपयोग कर सको. इतना ही बचाओ कि भविष्‍य की कुछ जरूरते पूरी हो सकें.

जैसा कि हमारा मूल वाक्य (टेग लाइन) है – अपने विचारों को बांटिये जिससे कि हम इसके माध्यम से किसी जरूरतमंद व्यक्ति की सहायता कर सकें, इस लेख को अधिक से अधिक लाइक करें, अधिक से अधिक लोगों में शेयर करो क्योंकि किसी न किसी व्यक्ति को इसकी जरूरत है.

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