worry think – क्या चिंता जरूरी है या चिंतन
जीवन में चाहे छोटी सी बात हो या कोई बहुत बडी. उसे लेकर प्रत्येक व्यक्ति चिन्ता में डूब जाता है.
उसे ऐसा लगता है मानो अब कुछ शेष बचा ही नहीं है. वह गहरे अंधकार में डूबता चला जाता है.
एक के बाद एक विचार उसे और चिन्ताग्रस्त बना देते है.
चिन्ता करने का सबसे बडा दुष्परिणाम यह होता है कि वह व्यक्ति जो चिंतित है , अपने आस पास के वातावरण को भी चिन्ताग्रस्त बना देता है या बनाने का प्रयास तो अवश्य करता ही है.
worry think – आपकी चिन्ता से परेशान होता है आपका परिवार
इसके अतिरिक्त वह व्यक्ति अपनी चिन्ता से अपने परिवार को भी चिन्ताग्रस्त बना देता है. ना चाहते हुए भी उसके परिवारजन उसकी चिन्ता का एक हिस्सा बन जाते हैं.
मैंने बहुत से लोगों को देखा है कि वो अपने कार्यालय सम्बन्धी सभी समस्याओं को एक चिन्ता की पोटली में भर कर अपने घर ले आते हैं.
वो एक एक करके अपनी बाते अपने परिवारजन के समक्ष रखता है इस आशा के साथ कि… Continued – Page (2)
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