बीच-बीच में विश्राम दे कर इसे करना चाहिए।
इसके उपरांत अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें। अनुलोम-विलोम प्राणायाम में एक नासिका छिद्र को बंद करके दूसरी नासिका से श्वाश अंदर लेना होता है व जिससे श्वाश अंदर लिया है उसे बंद कर के पहले नासिका छिद्र से श्वाश बाहर निकाल कर पुनः उसी से श्वाश अंदर लेना होता है।
यह क्रम लगातार चलता रहता है। इसीलिए इसका नाम अनुलोम-विलोम प्रणाम है यानि सीधा-उल्टा, उल्टा-सीधा।
Grow Face Glow – इडा व पिंगला नाड़ी से शरीर होता है संतुलित
जब हम अनुलोम-विलोम प्राणायाम करते हैं तो हमारे नासिका छिद्र जो सूर्य स्वर व चन्द्र स्वर भी कहलाते हैं और इन्हे इडा व पिंगला नाड़ी भी कहा जाता है।
जब हम एक नासिका से श्वाश अंदर की और लेते हैं व दूसरी से बाहर निकालते हैं तो हमारे शरीर में शीतलता व ऊषणता का संगम होता है जो हमारे शरीर को स्वस्थ बनाता है हमारी कोशिकाओं को बल प्रदान करता है तथा हमारे शरीर की चमक को बढ़ाता है।
इसलिए इसे भी प्रतिदिन नियमित रूप से 5 से 15 मिनट करना चाहिए। इससे हमारे विभिन्न प्रकार के रोग तो ठीक होते ही हैं साथ में हमारे शरीर व चेहरे की… Continued – Page (7)
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