Surrender – दूसरे को झुकाने की बजाय खुद झुको
अक्सर लोग दूसरों को झुकाने में लगे रहते हैं। वो हमेशा ऐसे अवसर तलाशते रहते हैं जिससे दूसरे को नीचे झुकाया जा सके।
बहुत से लोगों को में देखता हूँ कि उनके दैनिक व्यवहार में शिष्टता का कोई समावेश ही नहीं होता है। वो अपनी प्रत्येक बात अभद्र भाषा के द्वारा ही कहते हैं व उनके व्यवहार में भी अभद्रता ही होती है।
इस प्रकार के व्यक्ति झुकना तो जानते ही नही। अपने आप को सिद्ध करने के लिए ऐसे लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं।
किन्तु ऐसे व्यक्ति ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाते हैं क्योंकि… Continued – Page (2)
खत्री जी। शुभ संध्या।
बड़े ही अच्छे विषय पर आपने विचार व्यक्त किये हैं। वास्तव में इंसान अपने अहम् के मद में इतना अँधा हो गया है कि वह प्रत्येक सामने वाले व्यक्ति को अपने से तुच्छ ही समझता है, फिर चाहे पद हो या पैसा ।
एक बार सोच कर देखे क्या लाये थे और क्या लेकर जाओगे। एक आप का व्यवहार और दो मीठे बोल ही तो हैं जो आपकी याद रुपी आप छोड़ जाते हैं।
विनयशीलता और सद्कर्म मनुष्य के सबसे बड़े गहने है और वही आपके बाद इस मायावी संसार में रह जाते हैं।
आदरणीय वीरेंद्र जी। धन्यवाद।