झुक कर प्रणाम किया जाता है। हमारे भारत में भी चरण स्पर्श करने की प्रथा है।
Surrender – प्रथाओं का उद्देश्य अपने अहम का त्याग
इन सभी प्रथाओं का मूल उद्देश्य अपने अहम का त्याग करना है। क्योंकि जब कोई हमें झुका रहा हो और हम पहले से ही झुके हुए हो तो उसके पास कुछ बाकी ही नहीं रह जाएगा।
आपने यदि गौर किया हो तो जब कोई फल मिठास से भर जाता है तो वह नीचे की ओर झुक जाता है।
इसी प्रकार से जैसे जैसे हम इन रहस्यों को समझते चले जाओगे हमारी मिठास बढ़ती चली जाएगी और हम भी स्वतः ही झुकते चले जायेंगे।
अच्छा चलो हम यह मान लेते हैं कि हम नहीं झुकेंगे। उससे क्या हो जाएगा? हो सकता है कि हमे एक पल की संतुष्टि प्राप्त हो जाए।
किन्तु इससे हमारा अहम बढ़ जायगा। जो न केवल हमारी सफलता में सबसे बड़ा अवरोध होगा बल्कि कभी न कभी हमें अपने लक्ष्य से दूर भी कर देगा।
इसके अतिरिक्त जब तक वह व्यक्ति झुकेगा नहीं तब तक… Continued – Page (4)
खत्री जी। शुभ संध्या।
बड़े ही अच्छे विषय पर आपने विचार व्यक्त किये हैं। वास्तव में इंसान अपने अहम् के मद में इतना अँधा हो गया है कि वह प्रत्येक सामने वाले व्यक्ति को अपने से तुच्छ ही समझता है, फिर चाहे पद हो या पैसा ।
एक बार सोच कर देखे क्या लाये थे और क्या लेकर जाओगे। एक आप का व्यवहार और दो मीठे बोल ही तो हैं जो आपकी याद रुपी आप छोड़ जाते हैं।
विनयशीलता और सद्कर्म मनुष्य के सबसे बड़े गहने है और वही आपके बाद इस मायावी संसार में रह जाते हैं।
आदरणीय वीरेंद्र जी। धन्यवाद।