दूसरे को झुकाने की बजाय खुद झुको

अपने इसी अहम के कारण अपने राज्य गंवा दिये। उनके अहम की सजा उनकी प्रजा को भुगतनी पड़ी।

बहुत से घर केवल इसी कारण बर्बाद हो गए व आज भी हो रहे हैं क्योंकि उन लोगों ने झुकना सीखा ही नहीं। केवल अपने अहम के कारण न केवल अपना घर उजाड़ लिया बल्कि अपना भविष्य भी खराब कर लिया।

Surrender – झुकने से कोई नीचा नहीं होता

हमेशा याद रखो कि झुकने से कोई नीचा नहीं हो जाता। झुकने से आपके सम्मान में कोई कमी नहीं आने वाली।

आप किसी भी बड़े व्यक्ति को देखना, उनके व्यवहार में एक अलग ही चमक देखने को मिलती है। जिसे भी आप अपनी प्रेरणा कहते हो, उसे देखना।

आपको अपने आप ही आभास हो जाएगा कि आपका प्रेरक कितनी शालीनता लिए हुए है। उनमें कितना रस भरा हुआ है।

झुकने का अर्थ यह नहीं होता है कि आप किसी के भी चरणों में लेट जाएँ। बल्कि झुकने का अर्थ होता है अपने अंदर शालीनता, क्षमा भाव, विनम्रता, शिष्टता लाना होता है।

जैसे जैसे व्यक्ति इन विचारों से लबरेज होता चला जाता है उसकी विनम्रता बढ़ती चली जाती है। उसका अहम स्वतः ही समाप्त होता चला जाता है।

Surrender – गलत बात में हाँ चापलूसी

जहां आवश्यक हो, वहाँ अपना विरोध अवश्य प्रकट करो। क्योंकि… Continued – Page (6)

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2 Comments

  1. खत्री जी। शुभ संध्या।

    बड़े ही अच्छे विषय पर आपने विचार व्यक्त किये हैं। वास्तव में इंसान अपने अहम् के मद में इतना अँधा हो गया है कि वह प्रत्येक सामने वाले व्यक्ति को अपने से तुच्छ ही समझता है, फिर चाहे पद हो या पैसा ।

    एक बार सोच कर देखे क्या लाये थे और क्या लेकर जाओगे। एक आप का व्यवहार और दो मीठे बोल ही तो हैं जो आपकी याद रुपी आप छोड़ जाते हैं।

    विनयशीलता और सद्कर्म मनुष्य के सबसे बड़े गहने है और वही आपके बाद इस मायावी संसार में रह जाते हैं।

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