दूसरे को झुकाने की बजाय खुद झुको

जीवन दिया है। बस हमें तो आगे बढ़ना ही है। व्यर्थ की उलझनों में उलझ कर अपनी प्रगति को रोकना नहीं है।

हम जितना विनम्र होते चले जाएंगे, उतना ही हमारी सफलता की राह मजबूत होती चली जाएगी।

जैसा कि हमारा मूल वाक्य (टेग लाइन) है – अपने विचारों को बांटिये जिससे कि हम इसके माध्यम से किसी जरूरतमंद व्यक्ति की सहायता कर सकें, इस लेख को अधिक से अधिक लाइक करें, अधिक से अधिक लोगों में शेयर करो क्योंकि किसी न किसी व्यक्ति को इसकी जरूरत है.

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About S Khatri 28 Articles
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2 Comments

  1. खत्री जी। शुभ संध्या।

    बड़े ही अच्छे विषय पर आपने विचार व्यक्त किये हैं। वास्तव में इंसान अपने अहम् के मद में इतना अँधा हो गया है कि वह प्रत्येक सामने वाले व्यक्ति को अपने से तुच्छ ही समझता है, फिर चाहे पद हो या पैसा ।

    एक बार सोच कर देखे क्या लाये थे और क्या लेकर जाओगे। एक आप का व्यवहार और दो मीठे बोल ही तो हैं जो आपकी याद रुपी आप छोड़ जाते हैं।

    विनयशीलता और सद्कर्म मनुष्य के सबसे बड़े गहने है और वही आपके बाद इस मायावी संसार में रह जाते हैं।

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