इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाय कि भोजन करने से मन में प्रसन्नता व रुचि हो।
Good Food – भोजन के समय मन भोजन में ही होना चाहिए
जब भी कोई कार्य किया जाता है उस समय उस कार्य में सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हमारी रुचि व मन उस कार्य में कितना है।
यह सिद्धान्त भोजन पर पूर्ण रूप से लागू होता है। यदि हम क्रोध युक्त होकर, चिंता, ईर्ष्या, द्वेष आदि में भोजन करते हैं तो हमारा मन कभी भी भोजन में नहीं होता है।
जिसके कारण हमारे शरीर की बहुत सी ग्रंथियां अपने रसों का स्राव नहीं कर पाती हैं व हमारा भोजन सुपाच्य नहीं रह पाता है व रोग कारक होता है।
इसलिए जब भी भोजन करें तो मन में हमेशा प्रसन्नता का भाव होना चाहिए व पूरा ध्यान भोजन पर ही केन्द्रित होना चाहिए। उसका पूरा रसास्वादन लेते हुए भोजन करना चाहिए।
भोजन के समय किसी के प्रति ईर्ष्या, द्वेष का भाव नहीं होना चाहिए। क्रोध के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। और वैसे भी इन सभी बातों का तो हमारे अंदर समावेश होना ही नहीं चाहिए।
Good Food – भोजन कितना किया जाना चाहिए
इसका कोई निर्धारित मापदंड नहीं है। यह प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति, उसकी जीवन शैली, उसके कार्य आदि बहुत सी बातों पर निर्भर करता है।
जहां एक ओर किसी ज्यादा मेहनत-मजदूरी करने वाले व्यक्ति का पाचन शीघ्रता से हो जाता है तो उसे अधिक भोजन को करने में परेशानी नहीं होती है।
वहीं एक कार्यालय में बैठ कर काम करने वाले व्यक्ति को… Continued – Page (7)
Its really a very good auditorial.
We will keep all the things in mind.
Thanks.
Thank you Ji.