क्या चिंता जरूरी है या चिंतन

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डूबे नजर आते हैं. एक और उन पर परिणाम देने का दबाव बना रहता है तथा दूसरी ओर उन्‍हें अपनी बेज्‍जती होने का डर सताता रहता है.

इस विषय में मैं एक ही बात कहना चाहूंगा कि किसी भी कार्य की पूर्णता के लिए उसकी कार्य योजना बनाएं. उसके उपरान्‍त अपनी बात को रखें. फिर उसकी प्राप्ति के लिए अपना सम्‍पूर्ण कार्य करें.

हो सकता है कि कई बार किसी कार्य को लेकर आप पर कोई दबाव बना दिया गया हो. इसका अर्थ यह तो नहीं हुआ कि आप चिन्‍ता में डूब जाओ और अपने आपको चलती फिरती दवाई की दुकान बना डालो.

इससे अच्‍छा है कि आप अपनी कार्य योजना के अनुरूप उस कार्य के पूरा होने की अधिकतम सीमा तय करो व उससे अधिक के लिए अपने उच्‍चाधिकारियों से विनम्र रूप से प्रार्थना कर मना करने की आदत डालो.

बहुत से कर्मचारी काम ना आने की वजह से न केवल खुद चिन्‍ता में रहते है बल्कि किसी न किसी अन्‍य साथी पर भी उसका प्रभाव डालते रहते हैं क्‍योंकि वाे स्‍वयं काम सीखने का प्रयास ही नहीं करते.  इसके लिए आवश्‍यक यह है कि सबसे पहले काम सीखें.

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worry think – यदि घर परिवार की किसी समस्‍या की चिंता हो

संसार में ऐसा कोई घर-परिवार नहीं है जहां कोई समस्‍या न हो. किसी के घर में किसी… Continued – Page (7)

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