बहुत चिन्तित रहते हैं. दूसरे के साथ कोई हादसा हो जायेे तो चिन्ता में डूब जाते हैं. दूसरे की कोई खुशी हो तो चिन्ता में डूब जाते हैं. क्या उनके चिन्ता करने से दूसरे की समस्या का निराकरण हो जाएगा या दूसरे की खुशियों में कमी आ जायेगी.
worry think – चिन्ता करने से नही होता समस्या का निराकरण
क्यों होता है ऐसा. क्या कभी किसी ने यह जानने का प्रयास किया कि हम हरेक बात को लेकर चिन्ता करते ही क्यों हैंं. क्या चिन्ता करने से हमारी समस्या का निराकरण हो जायेगा.
चिन्ता किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. चिन्ता करने की अपेक्षा चिन्तन करना परम् आवश्यक है क्योंकि चिंतन ही एक ऐसा मार्ग है जो हमें हमारी समस्या से छुटकारा दिला सकता है.
अब प्रश्न यह उठता है कि चिन्ता और चिन्तन में क्या अन्तर है. चिन्ता का अर्थ है किसी भी समस्या को अपने मन में दोहराना व चिन्तन का अर्थ है उस समस्या का समाधान ढूंढना.
worry-think – किस दिशा में करे चिंतन
अब बात यह आती है कि किस दिशा में चिंतन करें. ऐसा क्या करें कि चिन्ता करने की आवश्यकता ही न पडे.
यदि आप एक विद्यार्थी हैं तो…. Continued – Page (4)
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