क्या चिंता जरूरी है या चिंतन

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सदस्‍य की बीमारी की समस्‍या हो, या किसी घर में बच्‍चों की नौकरी या विवाह की समस्‍या हो, या किसी घर में आर्थिक समस्‍या हो, किसी न किसी प्रकार की समस्‍या हर घर में बनी रहती है.

तो क्‍या चिन्‍ता करने से इन समस्‍याओं का समाधान हो जायेगा. नहीं, हमें गंभीरता के साथ उस समस्‍या का निराकरण ढूंढना होगा. यदि घर के किसी सदस्‍य की बीमारी ऐसी है जिसका इलाज संभव नहीं है तो ऐसे में हमारी चिन्‍ता उस सदस्‍य की बीमारी को और बढा सकती है.

worry think – चिन्‍ता करने की अपेक्षा ढूंढे समाधान

अतः चिन्‍ता करने की अपेक्षा जो सर्वश्रेष्‍ठ मार्ग हो उससे उसकी चिकित्‍सा करवानी चाहिए. एक कडवा सत्‍य सदैव याद रखना चाहिए कि जो इस दुनिया में आया है उसे जाना भी है फिर चाहे वह कोई भी क्‍यों ना हो.

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अतः उस सदस्‍य को अच्‍छा माहोल दीजिए. उसके साथ इस प्रकार से व्‍यवहार कीजिए कि वो अपना सारा दुख स्‍वतः ही भूल जाये. अपनी प्रत्‍येक प्रकार की क्षमता को ध्‍यान में रख कर उसका इलाज करवाइये व परिणाम उस परम पिता परमात्‍मा पर छोड दीजिए.

यदि आप बच्‍चों की नौकरी को लेकर‍ चिंतित है तो… Continued – Page (8)

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